नई दिल्ली। बीते दिनों एक ट्वीट वायरल हुआ, जिसका मजमून था कि ‘अपराधियों से लड़ सकते हैं। सिस्टम से नहीं। 4 दिन तक बिना सोए काम करने वाली टीम की मेहनत ऐसे बेकार जाएगी उम्मीद नहीं थी। मैं खुद से हार गया…’
गाजियाबाद एसपी का ट्वीट वायरल
सोशल मीडिया जमकर वायरल हुआ यह ट्वीट था यूपी कैडर के वर्ष 2015 के आईपीएस नीरज कुमार जादौन का। नीरज जादौन वर्तमान में बागपत एसपी के पद पर कार्यरत हैं। एसपी नीरज का ट्वीट 24 अगस्त को हुए अक्षय सांगवान हत्याकांड को लेकर था। गाजियाबाद के चर्चित दीपेंद्र हत्याकांड के मुख्य आरोपी रहे अक्षय की हत्या के बाद आरोपियों ने जिस तरह से पुलिस को चकमा देकर कोर्ट में सरेंडर कर दिया। उसी मामले को लेकर एसपी जादौन का दर्द का छलका और उन्होंने ट्वीट कर सिस्टम पर सवाल उठाए हैं।
आईपीएस नीरज कुमार जादौन की कहानी
आज हम अक्षय हत्याकांड की बात नहीं कर रहे बल्कि आपको खुद आईपीएस नीरज कुमार जादौन की जिंदगी से वाकिफ करवाने जा रहे हैं कि कैसे अपने पिता की सबके सामने गोली मारकर हत्या हो जाने के बाद नीरज कुमार ने 22 लाख के पैकेज की नौकरी छोड़ी और आईपीएस बन गए।
जालौन के रहने वाले हैं नीरज कुमार जादौन
जादौन मूलरूप से यूपी के जालौन जिले के नौरेजपुर गांव के रहने वाले हैं। नरेंद्र सिंह जादौन और आशा देवी के पांच बच्चों में सबसे बड़े नीरज कुमार हैं। 1 जनवरी 1983 को नीरज कुमार का जन्म कानपुर में हुआ। यहीं से स्कूलिंग और फिर आइआइटी, बीएचयू से कंप्यूटर साइंस में बीटेक की डिग्री लेकर एमएनसी ज्वॉइन कर ली। 2005 में बीटेक करने के बाद नीरज की नौकरी नोएडा की एक कंपनी में लग गई, जहां उन्होंने एक साल तक काम किया। फिर वर्ष 2008 में नीरज ब्रिटिश टेलिकॉम कंपनी की बेंगुलरु ब्रांच में 22 लाख रुपए के पैकेज पर नौकरी शुरू की।
6 दिसम्बर 2008 को हुई पिता की हत्या
नीरज कुमार 6 दिसंबर 2008 का दिन जिंदगी भर नहीं भूल पाएंगे। इस दिन नीरज के परिवार का किसी से खेत का विवाद चल रहा था, जिसमें इनके पिता नरेंद्र सिंह की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। तब महज 25 वर्षीय नीरज ने मां आशा, बहन उपासना, भाई पंकज, रोहित व राहुल को संभाला। साथ ही पिता को इंसाफ दिलाने के लिए केस भी लड़ा। मीडिया से बातचीत में नीरज बताते हैं कि पिता की हत्या के बाद कोर्ट कचहरी के खूब चक्कर लगाए। केस की पैरवी शुरू की तो पुलिस का रवैया देख दुखी हुए। पीड़ित की मदद करने की बजाय पुलिस आरोपितों का साथ दे रही थी। मगर पिता को इंसाफ दिलाना था तो नीरज ने आइपीएस बनने की ठान ली।
नौकरी में रहते शुरू की तैयारी
नीरज ने प्राइवेट कंपनी की नौकरी में रहते हुए वर्ष 2010 में यूपीएससी की तैयारी शुरू की। वर्ष 2011 में पहले ही प्रयास में एग्जाम पास किया और साक्षात्कार तक पहुंचे, मगर सफलता नहीं मिली। दूसरे प्रयास में रैंक कम मिली। फिर 22 लाख के पैकेज की नौकरी छोड़कर तीसरी और अंतिम बार प्रयास किया। इस बार 140वीं रैंक हासिल कर नीरज आइपीएस बन गए। वर्तमान में नीरज के भाई पंकज व रोहित सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं। राहुल व बहन उपासना हाईकोर्ट में वकालत करते हैं।
छह बार हो चुका जानलेवा हमला
प्रयागराज में ट्रेनिंग के बाद अलीगढ़ में गभाना सर्किल के सीओ (एएसपी) बने। यहां गोतस्करों के खिलाफ नीरज जादौन ने बड़ी कार्रवाई की। रात भर गाड़ी लेकर घूमते और कई एनकाउंटर भी किए। इस कारण उन पर छह बार जानलेवा हमला भी हुआ। तस्करों के गिरोह ने ट्रक से टक्कर मरवाने से लेकर फायरिंग तक की। एक बार उनकी सरकारी गाड़ी भी पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गई। मगर 16 माह के कार्यकाल में वह कभी पीछे नहीं हटे और हजारों गोवंश तस्करों के चंगुल से मुक्त कराए।
बेटे के जन्म के दो दिन बाद पहुंचे
एएमयू में जिन्ना की फोटो लेकर हुए मई-2018 में हुए बवाल में भी हालात संभालने के लिए नीरज जादौन आगे रहे। फरवरी-2019 में छात्र राजनीति को लेकर विधायक के बेटे पर गोली चलाने के बाद पैदा हुए सांप्रदायिक तनाव के बाद वहां के सीओ को हटाकर नीरज जादौन को भेजा गया। इसी समय पत्नी को प्रतीक्षा प्रसव पीड़ा के चलते अस्पताल में भर्ती कराया गया। पत्नी को अस्पताल में छोड़ वह बवालियों से लोहा ले रहे थे। इसी बीच 16 फरवरी को प्रमोशन के साथ उनका गाजियाबाद तबादला हो गया। अगले ही दिन छोटे बेटे राज्यवर्द्धन ने जन्म लिया, लेकिन नीरज जादौन अलीगढ़ में हालात शांत होने के बाद 18 फरवरी की रात को उसे देखने पहुंचे।
क्राइम पर पकड़, कानून-व्यवस्था में भी माहिर
पुलिस विभाग में कोई क्राइम पर अच्छी पकड़ रखता है यानी पेचीदा केस खोलना तो कोई जनता से संवाद बना कानून-व्यवस्था बनाए रखना जानता है। नीरज जादौन के अंदर ये दोनों ही काबिलियत हैं। अपने कार्यकाल के दौरान देहात क्षेत्र में हत्या, लूट व डकैती के रिकॉर्ड ही नहीं बल्कि उनका घटनाक्रम और खोलने का तरीका तक उन्हें मुंह जुबानी याद है।
जब दंगाइयों को गाजियाबाद में घुसने से रोका
फरवरी-2019 से गाजियाबाद एसपी देहात के रूप में तैनात नीरज जादौन ने एनआरसी व सीएए के विरोध और फिर दिल्ली में हुई हिंसा के दौरान बॉर्डर पर हालात संभाले। लोनी क्षेत्र में दिल्ली बॉर्डर के 10 बेहद संवेदनशील प्वॉइंट थे, जहां से दंगाई बार-बार गाजियाबाद में घुसने का प्रयास कर रहे थे। नीरज जादौन ने एक तरफ दंगाइयों को रोका तो वहीं गाजियाबाद के निवासियों से लगातार संपर्क में रहे।
दिल्ली में घुस दंगाइयों से बचाए थे परिवार
उस समय दिल्ली-यूपी बॉर्डर पर आवाजाही ही नहीं बल्कि दंगों की आग को भी रोक दिया। लाल बाग सब्जी मंडी से 100 मीटर दूर दंगाई उत्पात करते हुए दुकान में लूट के बाद घर आग के हवाले करने का प्रयास कर रहे थे। छत पर महिला व बच्चे रो रहे थे। नीरज जादौन ने सीमा लांघी और दिल्ली में घुस सैकड़ों की संख्या में पेट्रोल बम व पत्थर हाथ में लिए दंगाइयों को चेतावनी देकर खदेड़ा। उन्होंने करीब तीन परिवारों को सकुशल बचाया।