बिजनौर। यूपी बोर्ड की परीक्षा निरस्त होने से पिछले सालों से चली आ रही व्यवस्था प्रभावित हुई है। इस बार छात्र स्क्रूटनी नहीं करा सकेंगे। छात्रों की अंक सुधार अर्थात इंप्रूवमेंट परीक्षा की व्यवस्था भी समाप्त कर दी गई है। साथ ही परीक्षा नहीं होने से उत्तर पुस्तिका देखने की व्यवस्था भी नहीं रहेगी। अब रिजल्ट की सारी व्यवस्था विद्यालय केंद्रित है।
जिले में यूपी बोर्ड के हाईस्कूल और इंटरमीडिएट के 90 हजार से अधिक छात्र-छात्राएं पंजीकृत हैं। कोरोना के कारण बोर्ड परीक्षा निरस्त हो गई है। सभी पंजीकृत छात्रों को अगली कक्षा में प्रमोट कर दिया गया है। परीक्षा निरस्त होने से बोर्ड की पहले से चली आ रही कई व्यवस्था बदल गई हैं। रिजल्ट तैयार होने की पूरी व्यवस्था विद्यालय आधारित हो गई है।
डीआईओएस दफ्तर से मिली जानकारी के अनुसार पिछले सालों में परीक्षा होती रही है। छात्र के रिजल्ट में यदि नंबर कम आते थे तो बोर्ड की ओर से स्क्रूटनी की व्यवस्था थी। छात्र किसी विषय की कापी का पुनर्मूल्यांकन करा सकता था। इसके लिए बोर्ड की ओर से प्रति विषय परीक्षा शुल्क निर्धारित था। इस साल परीक्षा निरस्त है, इसलिए स्क्रूटनी नहीं होगी। स्कूलों से भेजें नंबर ही अंतिम ह
साथ ही परीक्षा निरस्त होने से इंप्रूवमेंट परीक्षा भी नहीं होगी। छात्र किसी विषय में कम नंबर आने पर इंप्रूवमेंट परीक्षा दे सकता था। ताकि छात्र के अंक सुधर जाएं और रिजल्ट अच्छा हो जाए। पिछले सालों में रिजल्ट घोषित होने पर यदि छात्र को ऐसा लगता है कि उसको किसी विषय के सवालों पर कम अंक दिए गए हैं तो छात्र बोर्ड के तय नियमों के अंतर्गत उत्तर पुस्तिका देख सकता था।
परीक्षा नहीं होने से उत्तर पुस्तिका देखने की व्यवस्था समाप्त है। डीआईओएस राजेश कुमार ने बताया कि अंक आवंटन का फार्मूला कक्षा नौ व ग्यारह की परीक्षा तथा हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की प्री बोर्ड परीक्षा में मिले अंकों पर आधारित है। परीक्षा निरस्त होने से रिजल्ट तैयार करने की व्यवस्था बदल गई है।